बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
उत्तर -
सीखने की प्रक्रिया में सोशल मीडिया की भूमिका इन्टरनेट प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ सोशल मीडिया हर छात्र के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। सामाजिक नेटवर्क के माध्यम से सूचनाओं को आदान-प्रदान करना और जुड़े रहना आसान और सुविधाजनक है। शिक्षक और छात्र एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए सामाजिक मंचों का उपयोग कर सकते हैं और शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति भी कर सकते हैं।
अतः सोशल मीडिया सीखने की प्रक्रिया में निम्न भूमिका अदा करता है -
(1) सहयोगपूर्ण सीखना - सोशल मीडिया पर छात्र बहुत सारी सूचनाओं का अदान प्रदान करते हैं। वर्तमान समय में विश्व स्तर पर कई संस्थान छात्रों को कुछ प्रोजेक्ट असाइनमेंट लेने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करके अन्तर्राष्ट्रीय साझेदारी बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसा करने से वे एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं और सीखते हैं कि परियोजनाओं का प्रबंधन कैसे किया जाता है। इसी प्रकार सोशल मीडिया के उपयोग ने कक्षा से सम्बन्धित विषयों के बारे में साथियों या शिक्षकों के साथ बातचीत करना आसान और तेज बना दिया है।
सोशल मीडिया का उपयोग छात्रों को आनलाइन व्यवस्थाओं के माध्यम से कार्य प्रबंधन की एक नई कार्य संस्कृति से भी परिचित कराता है जोकि आज के प्रचार-प्रसार में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह सिखाता है कि किस प्रकार संचार कौशल में सुधार करके एक मजबूत आनलाइन उपस्थिति विकसित की जाए।
(2) छात्रों द्वारा सूचना साझा करना - सोशल मीडिया छात्रों द्वारा सूचना साइन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। छात्र अपने स्मार्टफोन के माध्यम से लगातार इन्टरनेट से जुड़े रहते हैं और इसी कारण तीव्रता से अपने कनेक्शन तक जानकारी पहुँचाते हैं। विचारों को साझा करने के अतिरिक्त वे बहुत सी मूल्यवान सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करते हैं। यह जानकारी केवल दिलचस्प वीडियो या स्नैपचैट ही नहीं बल्कि उससे अधिक उनके अध्ययन से संबंधित उपयोगी सामग्री को प्राप्त कराती है। वे कक्षाओं और परीक्षाओं के लिए उपयोगी जानकारी प्राप्त कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(3) शिक्षकों के लिए सोशल मीडिया मार्केटिंग - शैक्षणिक संस्थानों के लिए सोशल मीडिया संभावित छात्रों तक पहुँचने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मीडिया ने शिक्षा पेशेवरों को ब्रांड की जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मजबूत मार्केटिंग रणनीति बनाने के लिए प्रेरित किया है।
बहुत से कॉलेज छात्रों को टैप करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया रणनीतियाँ अपना रहे हैं। वे सोशल मीडिया के जरिये विषयों पर विशेषज्ञों से जुड़े रहे हैं। ब्लागिंग और स्लाइड शेअर के माध्यम से शिक्षक शीघ्र ही विशेष क्षेत्रों और विषयों के विशेषज्ञों का आनलाइन अनुसरण करके उपयोगी सामग्री प्राप्त करते हैं, जिससे संस्थान सशक्त बनते हैं और अकादमिक जगत में अपना ब्रांड स्थापित करते हैं।
शैक्षणिक संस्थान यूट्यूब के माध्यम से और फेसबुक के जरिए छात्रों से संवाद कर रहे हैं। इन चैनलों का उपयोग कैंपस समाचारों को सम्प्रेषित करने, घोषणा करने और छात्रों को उपयोगी जानकारी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। यह कॉलेज और छात्रों को जोड़ता है जोकि सामुदायिक बातचीत के माध्यम से छात्र से सम्बन्धित कई मुद्दों को संबोधित करके विश्वास बनाने में मदद करता है।
(4) अनुसंधान को बढ़ावा देने में मदद - सोशल मीडिया का अनुसंधान पहल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण स्थान है। यह सेकेंडरी डेटा निकालने के लिए सबसे अच्छे प्लेटफार्म में एक है। सोशल मीडिया के माध्यय से आप नमूना एकत्र करने और किसी विशेष विषय पर सामान्य लोगों और अन्य विशेषज्ञों की राय जानने के लिये सर्वेक्षण पूल आयोजित कर सकते हैं। सोशल मीडिया अकादमिक शोधकर्ताओं को सहयोगी असाइनमेंट और परियोजनाओं पर काम करके उपयोगी सामग्री को संकलित और तैयार करने में मदद करता है।
(5) कहीं पर और कहीं से अध्यापन जारी रखने में सहायक - छात्रों को कभी-कभी कक्षा सत्र के दौरान प्रश्नों का समाधान करना कठिन होता है। इससे छात्रों के लिए अपनी शंकाओं को दूर करना और मुश्किल हो जाता है। हालाँकि प्रोफेसर सोसल मीडिया तकनीकि का लाभ उठा कर कक्षा के अतिरिक्त शिक्षण के घंटे बढ़ा सकते हैं। वे अपने छात्रों की अस्पष्ट शंकाओं को दूर करने के लिए फेसबुक लाइव सत्र या ट्विटर चर्चा की स्थापना कर सकते हैं। वास्तविक रूप से प्रोफेसर किसी भी प्रश्न का उत्तर देने या किसी छात्र के साथ काम करने के लिए ऑनलाइन चर्चा के लिए समर्पित समय स्लाट आवंटित कर सकते हैं। फेसबुक सत्रों के माध्यम से संकाय एक बार में ही बड़े दर्शकों से जुड़ सकता है जो कि और किसी कक्षा में संभव नहीं है।
मीडिया के माध्यम से यात्रा के दौरान भी प्रोफेसर अपने छात्रों से सम्पर्क में रह सकते हैं। वे यात्रा के दौरान कक्षाओं को रद्द करने से बचने के लिये व्याख्यान स्ट्रीम भी कर सकते हैं। यदि कक्षा के समय प्रोफेसर कक्षा में नहीं हैं तो वह व्याख्यान को रिकार्ड करने के लिए You tube का उपयोग कर सकते हैं।
(6) वर्चुअल लाइब्रेरी बनाने के लिये - एक व्यक्तिगत ब्लाग स्थापित करने से प्रोफेसरों को बौद्धिक विश्वासनीयता बनाने की अत्यधिक स्वतंत्रता मिलती है। वे अपने शैक्षणि कार्य और अन्य महत्वपूर्ण व्याख्यान और वीडियो अपलोड कर सकते हैं जो कि छात्रों को उनके अध्ययन के लिए संदर्भ सामग्री के रूप में प्रासंगिक इनपुट देने की अनुमति देगा।
(7) छात्रों का सोशल नेटवर्किंग से सीखना - सोशल मीडिया सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान कराता है। इसके द्वारा कैरियर में मदद करने के . लिये छात्रों को नेटवर्क बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसी प्रकार प्रोफेसर भी छात्रोंसे जुड़ सकते हैं और उन्हें उपयुक्त नौकरी या व्यवसाय की ओर अग्रसर कर सकते हैं।
निष्कर्ष - जैसे-जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क शिक्षा प्रणालियों में आगे बढ़ता है, अनेक महत्वपूर्ण बिन्दु सामने आएँगे जिससे सीखने में अत्यधिक सहायता मिलेगी।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
- प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
- प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?